भारत की पहली बिना इंजन ट्रेन-18

देश की पहली बिना इंजन की ट्रेन। दो दिन पहले चेन्नई में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन की उपस्थिति में इस ट्रेन का लोकार्पण किया गया। ट्रेन को शताब्दी एक्सप्रेस का विकल्प बताया गया है। मगर, कम ही लोगों को जानकारी है कि इस ट्रेन के बोगी फ्रेम कानपुर में तैयार हुए हैं। पनकी स्थित फैक्ट्री में यूरोपीय तकनीक से बोगी फ्रेम बनाए जा रहे हैं।


रफ्तार के लिए सबसे जरूरी है बोगी फ्रेम

अक्टूबर में देश की पहली बिना इंजन की ट्रेन का परीक्षण होना था, इसलिए जल्द बोगी फ्रेम मांगे गए थे। जुलाई से ही बोगी फ्रेम कानपुर से चेन्नई स्थित इंट्रीगल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) को भेजे जाने लगे थे। ट्रेन-18 की रफ्तार 160 किलोमीटर तय की गई है। रफ्तार के लिए सबसे जरूरी है बोगी फ्रेम। कानपुर में पनकी स्थित वेद सैसोमैकेनिका फैक्ट्री में बोगी फ्रेम तैयार किए जा रहे हैं। बोगी फ्रेम के नीचे पहिए लगे होते हैं और उसके ऊपर बोगी बनी होती है। यह फैक्ट्री पूर्व में भी शताब्दी, राजधानी और एलएचबी कोच के बोगी फ्रेम बना चुकी है।

नियमित निरीक्षण पर आती टीम

चेन्नई की टीम बोगी फ्रेम के निरीक्षण के लिए नियमित रूप से कानपुर स्थित फैक्ट्री में आती है। बोगी फ्रेम में कोई कमी न रहे, इसलिए विश्वस्तरीय तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। पहली बार बोगी फ्रेम को बनाने के लिए रोबोटिक आर्म तकनीक प्रयोग में लाई गई है। यह जर्मनी की तकनीक है। इससे वेल्डिंग परफेक्ट होती है। फैक्ट्री मालिक रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि ट्रेन-18 के लोकार्पण के मौके पर चेन्नई में था। अपने बनाए बोगी फ्रेम पर बिना इंजन की ट्रेन को चलते देख बहुत अच्छा लगा। प्रतिमाह 16 बोगी फ्रेम देने हैं। पहले टेंडर के तहत 320 बोगी फ्रेम की आपूर्ति का काम मिला है।

देश की पहली बिना इंजन ट्रेन-18 को कानपुर ने दिया 'आधार'

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